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Monday, 30 September 2019

शुरू करें रिटायरमेंट योजना पर काम, बुढ़ापा सुखद गुजरे, इसके लिए अभी से करें तैयारी (For Investor )


हर INVESTOR का लक्ष्य होता है भविष्य के लिए बचत करते हुए सही निवेश करना. अपने जीवन में आनेवाले विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को समय के अनुसार पूरा करना. बहुत कम लोग ही हैं जो सेवानिवृत्ति के बाद की योजना कैरियर शुरू करते ही बना लेते हैं. यही वह योजना है जो आपको बुढ़ापे में आर्थिक आजादी प्रदान कर सकती है. सेवानिवृत्ति की योजना को सही तरीके से पूरा करने के लिए प्रस्तुत है आज का कल्पवृक्ष का विशेष पन्ना.

हर किसी के जीवन में एक समय आता है जब उम्र के एक पड़ाव पर उनकी आय के लिए किया जाने वाला नियमित काम बंद हो जाता है. इस पड़ाव पर आमदनी कम हो जाती है या कहें तो लगभग बंद हो जाती है. 

ऐसे में खर्च को पूरा करने के लिए जरूरी पैसों की व्यवस्था हो, इसके लिए रिटायरमेंट योजना पर पहले से ही काम करना शुरू कर देना चाहिए. हर साल बढ़ते हुए मूल्यों को ध्यान में रखते हुए ऐसी योजना बनानी चाहिए जो आपको रिटायरमेंट के बाद इतना पैसा नियमित उपलब्ध कराता रहे, जिससे आपको कोई परेशानी हो. जितनी जल्दी योजना पर काम करेंगे, उतनी ही बड़ी पूंजी तैयार होगी. 

संपत्ति के आवंटन पर करें ध्यान केंद्रित

आज के दौर में निवेश करने के लिए विभिन्न तरह के वित्तीय साधन उपलब्ध हैं. इनमें से उस विकल्प को चुनना महत्वपूर्ण है जो आपको निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार होता है. अगर आप जल्दी सेवानिवृत्ति की प्लानिंग कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप इन निवेश विकल्पों की अनिवार्यताओं के बारे में जरूर गौर करें.

आमतौर पर, एक भारतीय घर के लिए डेब्ट, इक्विटी, सोना और अचल संपत्ति जैसे एसेट क्लास में निवेश किया जाता है.  डेब्ट में निवेश आम तौर पर पारंपरिक निवेश योजनाओं के रूप में किया जाता है जबकि इक्विटी डीमैट खाते में या म्यूचुअल फंड के माध्यम से शेयरों के रूप में हो सकती है. सोना को आमतौर पर आभूषण के रूप में घर की महिलाओं के द्वारा एक भावुक मूल्य के रूप देखा जाता है कि मुद्रास्फीति से बचाव के रूप में. 

अपने विशेष झुकाव के कारण किसी एक एसेट क्लास की तरफ पोर्टफोलियो का रुख बन जाता है, जो एक गलती है, जिससे भारी नुकसान हो सकता है. ऐसी स्थिति पर काबू पाने का सबसे अच्छा तरीका है एसेट एलोकेशन के अनुशासन का पालन करना. एसेट एलोकेशन मूल रूप से एक INVESTOR को अपनी जोखिम क्षमता और निवेश के उद्देश्य के अनुसार विभिन्न एसेट क्लास में एक निश्चित अनुपात में निवेश करने में मदद करता है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है.

नीमेश शाह,

एमडी सीइओ, आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड

डेब्ट फंड की अनदेखी करें

निवेश का निर्णय लेते समय अक्सर यह देखा गया है कि लोग डेब्ट फंड की अनदेखी कर देते हैं. किसी भी पोर्टफोलियो के लिए दो तत्व हैं - ग्रोथ और स्थिरता. ग्रोथ इक्विटी द्वारा लाया जाता है, जबकि पोर्टफोलियो में स्थिरता डेब्ट लाता है. 

इक्विटी बाजार में अधिक अस्थिरता होती है, ऐसे में डेब्ट में निवेश महत्वपूर्ण हो जाता है. यह अक्सर देखा गया है कि जब इक्विटी में तेजी का बाजार होता है, तो INVESTOR अपने डेब्ट निवेश को भुनाते हैं और इक्विटी में निवेश करते हैं. 

यह एक नकारात्मक कदम है, क्योंकि यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि इक्विटी बाजार में कब उतार या चढ़ाव होगा. इसको एक उदाहरण से समझें. मिडकैप और स्मॉल कैप ने 2016 से रैली शुरू की थी. यह जनवरी 2018 तक जारी रही और दो अंकों का रिटर्न दिया. 
इस रैली को देखते हुए, मिड कैप स्मॉल कैप के लिए निवेशकों की भीड़ लगी और फिर उसमें हुए भारी सुधार होने के बाद उन्हें नुकसान उठाना पड़ा. आंकड़े बताते हैं कि आज, एक साल बाद तारीख के आधार पर, दोनों मिड कैप और स्मॉल कैप ने नकारात्मक रिटर्न दिया है. (24 सितंबर,2019 के आंकड़ों के अनुसार).

विशेषज्ञों की सेवाओं का करें उपयोग

जब एक पोर्टफोलियो बनाने की बात आती है, तो इक्विटी की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है. इक्विटी इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह पोर्टफोलियो में ग्रोथ एलिमेंट में लाता है. सीधे शेयरों में निवेश करने या म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने का विकल्प हमेशा रहता है. म्यूचुअल फंड के माध्यम से INVESTOR को एक पेशेवर फंड मैनेजर तक पहुंच मिलती है, जो एक शोध टीम के साथ, बाजार और अर्थव्यवस्था में विकास (ग्रोथ) का बारीकी से अध्ययन करता है. 

और फिर जरूरत के अनुसार इसमें परिवर्तन करता है. INVESTOR के लिए यह संभव नहीं है. इसके अलावा, बाजार में फंड की एक विस्तृत श्रेणी मौजूद है, जिसमें से मध्यम से लंबी अवधि के लक्ष्यों के आधार पर चुनाव किया सकता है. हर तरह के फंड की की अपनी खास विशेषता और पोर्टफोलियो संरचना होती है. इन फंडों में जोखिम भी अलग-अलग होता है. इसलिए हमेशा विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करना (प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से) लाभकारी होता है.

निवेश में रहें अनुशासित

एसेट एलोकेशन महत्वपूर्ण होता है. अक्सर INVESTOR उस एसेट एलोकेशन के साथ छेड़छाड़ करते हैं. हर एसेट क्लास वर्ष में एक निश्चित समय पर बेहतर रिटर्न देते हैं. एक INVESTOR इनमें फेरबदल करते हुए नुकसान उठा सकता है. 

और यह नुकसान धीरे-धीरे लंबे अंतराल में बढ़ जाता है. इस तरह INVESTOR अनावश्यक रूप से चाहते हुए भी भारी नुकसान मोल लेता है. जिस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था विभिन्न चरणों के माध्यम से चलती है, कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता है कि कौन सा एसेट क्लास अच्छा प्रदर्शन करेगा. 

पिछले कुछ वर्षों में किये गये अनुसंधान ने यह सिद्ध कर दिया है कि कुल पोर्टफोलियो का लगभग 91.5% एसेट एलोकेशन के आधार पर तय किया जा सकता है. जबकि लगभग 8% पोर्टफोलियो के लिए चयन, समय और अन्य पैरामीटर योगदान देता है. इसलिए, निवेश का अनुशासन बनाये रखें. 

एक वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन प्राप्त करें

सेवानिवृत्ति जैसे लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्य के लिए योजना बनाने की बात आती है, तो वित्तीय सलाहकार की विशेषज्ञता प्राप्त करना सबसे अच्छा और सही कदम माना जाता है. 

एक INVESTOR की जोखिम क्षमता, वित्तीय लक्ष्यों और कई अन्य मानकों के आधार पर एक वित्तीय सलाहकार अच्छी तरह से विश्लेषण करते हुए आवश्यक समझ के साथ एक INVESTOR को गाइड करता है कि कैसे एक सेवानिवृत्ति योजना जैसी वित्तीय लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. एक वित्तीय सलाहकार योजना का खाका तैयार करता है. और बताता है कि आनेवाले वर्षों में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए. निवेश बिना सोचे समझे की जानेवाली चीज नहीं है.

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