पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री किशिदा और श्रीमती आबे से मुलाकात कर सभी भारतीयों की ओर से शोक-संवेदना प्रकट की. उन्होंने कहा कि हम आबे की दृष्टि के अनुरूप भारत-जापान संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए काम करना जारी रखेंगे. जानें शिंजो आबे की अंतिम विदाई एलिजाबेथ से कितनी खर्चीली है.
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का राजकीय अंतिम संस्कार 27 सितंबर को यानी आज टोक्यो में होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दोस्त आबे को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंच चुके हैं. आज पीएम मोदी ने टोक्यो में जापान के प्रधानमंत्री किशिदा से मुलाकात की है. अंतिम संस्कार कार्यक्रम में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, ब्रिटिश विदेश सचिव समेत 100 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इसके अलावा, 700 विदेशी मेहमान भी मौजूद रहेंगे.
जापानी पीएम फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो में जापानी पीएम फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक की. पीएम मोदी ने कहा कि इस दुख की घड़ी में आज हम मिल रहे हैं. पिछली बार जब मैं आया तब शिंजो आबे से काफी लंबी बात हुई थी और कभी सोचा ही नहीं था कि जाने के बाद ऐसी खबर सुनने की नौबत आएगी. उन्होंने कहा कि भारत और जापान की दोस्ती ने एक वैश्विक प्रभाव पैदा करने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व में भारत-जापान संबंध और अधिक गहरे होंगे. हम विश्व में समस्याओं के समाधान में एक उचित भूमिका निभाने के लिए समर्थ बनेंगे. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होंगे.
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आबे के अंतिम संस्कार में 1.66 अरब येन (करीब 94 करोड़ रुपये) खर्च होने का अनुमान
शिंजो आबे की ये प्रतीकात्मक अंतिम विदाई होगी. आबे के अंतिम संस्कार में 1.66 अरब येन (करीब 94 करोड़ रुपये) खर्च होने का अनुमान है. वहीं, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार की अनुमानित लागत 1.3 अरब येन (करीब 73.7 करोड़ रुपये) थी. हालांकि, एलिजाबेथ द्वितीय की अंत्येष्टि पर हुए खर्च का आंकड़ा जारी नहीं किया गया है. बता दें कि इस साल आठ जुलाई को शिंजो आबे की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद पारिवारिक तौर पर आबे का अंतिम संस्कार 15 जुलाई को हुआ था. इस लिहाज से आबे का यह अंतिम संस्कार प्रतीकात्मक होगा. वहीं, विरोधियों का कहना है कि कानूनी आधार नहीं होने के चलते आबे का राजकीय अंतिम संस्कार ‘अलोकतांत्रिक’ होने के साथ ही किशिदा मंत्रिमंडल का एकतरफा फैसला है.
विरोधी इसे युद्ध काल में जापान के अत्याचारों पर आबे द्वारा पर्दा डालने, अधिक सैन्य खर्च के लिए उनके दबाव, लैंगिक भूमिकाओं पर उनके नजरिये, तानाशाह नेतृत्व और पूंजीपतियों के समर्थक के रूप में याद करते हैं.
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